महरौली पुरातत्व पार्क

  • क्षेत्रफल : 200 एकड़
  • एंट्री फीस : कोई फीस नहीं
  • मेट्रो : क़ुतुब मीनार

महरौली पुरातत्व पार्क, जिसके उत्तर में क़ुतुब मीनार जैसी विश्व विरासत तथा जिसमें 80 स्मारक मौजूद हैं, पिछले एक हज़ार वर्षों की विरासत को दर्शाता है। प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से यह एक अनोखा विरासत क्षेत्र है। पर्यटन की दृष्टि से यहाँ पर सुचना पट्ट, पथ संकेत तथा बेंच लगाए गए हैं जो यहाँ आने वालों की लिए सुविधा प्रदान करती है।


महरौली पुरातत्व पार्क मकबरों का एक छोटा गाँव है जो प्राकृतिक हरियाली से घिरा हुआ। यह एक बीते युग की झलक दिखाता है और दक्षिण दिल्ली के अधिकतर इलाके इस पार्क की झलकियों से अनछुए नहीं है। यह क़ुतुब परिसर से एक किलोमीटर से अधिक दूर नहीं है। यह ऐतिहासिक पार्क 200 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें 1060 ईस्वी में तोमर राजपूतों द्वारा निर्मित दिल्ली का सबसे पुराना प्रसिद्ध किला ‘लाल कोट के खंडहर’ शामिल हैं और बाद के काल के स्थापत्य अवशेष भी यहीं मौजूद है जैसे, खिलजी वंश, तुगलक वंश, दिल्ली सल्तनत का लोधी वंश, मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश राज।


प्रमुख संरचनाएं – लालकोट, बलबन का मक़बरा, बलबन के बेटे खान शाहिद का मक़बरा, खान शाहिद के मक़बरे का प्रवेशद्वार, राजों की बाओली की सीढियां, बावली के बाज़ू में एक मस्जिद की दीवार, राजों की बावली के उस पार गंधक की बाओली, सूफी संत क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी की दरगाह, राजों की बाओली के पास,बगीची की मस्जिद, क़ुली खान के मक़बरे के क़रीब “दिलकुशा” पर थॉमस मेटकॉफी का गेस्ट हाउस, मक़बरे का आँगन, मज़ारों का चबूतरा आदि।

यह पार्क ऐतिहासिक महत्व तो रखता ही है, साथ में यह प्राकृतिक संरचनाओं में सिमटे होने की वजह से दिल्ली को अच्छी हवा भी प्रदान करता है। यहाँ भ्रमण करना फलदाई है।

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